दूध धारा बिक्री केंद्र
दूधधारा बिक्री केन्द्र :- देश की अर्थव्यवस्था में डेयरी उद्योग का प्रमुख योगदान है | राष्ट्रीय विकास बोर्ड के तत्वाधान में वर्ष 1970 में डेयरी क्षेत्र के आधुनिकीकरण तथा डेयरी सहकारिताओं की मदद से 4 मेट्रो शहरों में दूध आपूर्ति बढ़ाने के लिए "ऑपरेशन फ्लड" कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया था | वर्ष 1991 में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के साथ ही डेयरी क्षेत्र को भी लाइसेंस मुक्त कर दिया गया था | इसके बाद ग्रामीण आय को बढ़ने के लिए वर्ष 1996-97 में "टेक्नोलॉजी मिशन ऑफ डेयरी डेवलपमेंट" को प्रारम्भ किया गया था | जिसका उद्देश्य उत्पादकता बढ़ाने और परिचालन लागत घटाने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाया था | और इस प्रकार दुग्ध और दुग्ध उत्पादों की ज्यादा से ज्यादा उपलब्धता सुनिश्चित की गयी इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए निगम द्वारा निजी क्षेत्र की डेयरी दूधधारा बिक्री केन्द्रों के माध्यम से आम जनता की घरेलू खपत को पूरी करने के लिए दुग्ध क्षमता में वृद्धि और गुणवत्ता हेतु जांच करके दूध की गुणवत्ता बढ़ाते हुए जनता तक आपूर्ति की जाती है |
उद्देश्य :-
1. दूध में वसा की जाँच की क्षमता व जाँच की विशुद्धता को बढ़ाना, दूध के अन्य घटकों जैसे :- सॉलिड नॉट फैट (SNF) प्रतिशत, पानी का प्रतिशत आदि घटकों की करना |
2. पारदर्शी प्रणाली के माध्यम से दूध ग्राहकों का विश्वास जीतना और इस तरह दूध की बिक्री बढ़ाना |