स्थापना

स्थापना :-
मानव सभ्यता शुरू होने के बाद से कृषि के साथ-साथ पशुपालन और डेयरी गतिविधियां मनुष्य जीवन का अभिन्न अंग बनी हुई हैं। इन गतिविधियों ने न केवल खाद्य सामग्री और पशु शक्ति में बल्कि, पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में भी योगदान दिया है। कृषि और पशुपालन सस्ते और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के अलावा ग्रामीण क्षेत्र में विशेष रूप से भूमिहीन, छोटे व सीमांत किसानों और महिलाओं के बीच लाभकारी रोजगार पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


अधिक समावेशी और टिकाऊ कृषि प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए पशुधन क्षेत्र एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में उभरा है। बढ़ती आबादी, बदलती जीवन शैली, बढ़ते शहरीकरण और त्वरित जलवायु परिवर्तन गोजातीय प्रजनन प्रणालियों में नई चुनौतियां पैदा कर रहे हैं। 80% से अधिक ग्रामीण परिवार अपने घरों में पशुधन रखते हैं। छोटे और सीमांत किसानों की आय का लगभग 35% डेयरी और पशुपालन से आता है। शुष्क क्षेत्रों में यह आय 50% है। इस क्षेत्र में अन्य क्षेत्रों की तुलना में कम से कम निवेश के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने की क्षमता है। राज्यों में क्षेत्र की क्षमता, योगदान और भूमिका के आलोक में, पशुधन क्षेत्र के वांछित विकास के लिए एक नीति का पालन करने की आवश्यकता है।


भारतीय पशुपालन निगम लिमिटेड निजी क्षेत्र में पब्लिक लिमिटेड कंपनी है | इसकी स्थापना भारतीय पशुपालन विकास एवं अनुसंधान संस्थान लिमिटेड के नाम से वर्ष 2009 में की गई थी | जनवरी 2011 में भारत सरकार के द्वारा अनुमति प्राप्त कर इसे निगम के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है | निगम का कार्य क्षेत्र सम्पूर्ण भारत वर्ष है | निगम का पंजीकरण भारत सरकार के कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय के जयपुर कार्यालय रजिस्ट्रार ऑफ़ कम्पनीज द्वारा अधिनियम 1956 (1965 का 1) की धारा 23(1) के अनुसरण में निगम संख्या U01407RJ2009PLC029581 के द्वारा किया गया है | इसका रजिस्टर्ड कार्यालय जयपुर में स्थित है ।